आठ साल के मासूम जुड़वाँ बहिन भाई ने रखा पहला रोज़ा। जिसने भी देखा दिल से दुआ दी।

आठ साल के मासूम जुड़वाँ बहिन भाई ने रखा पहला रोज़ा। जिसने भी देखा दिल से दुआ दी।

मऊ (उत्तरप्रदेश)

मजहब ए इस्लाम में रमज़ान माह को बड़ी बरकतों और नेमतों वाला महीना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मुबारक माह में आसमानी रहमतों और बरकतों का नुज़ूल रहता है। सारी दुनिया के मुसलमान इस माह में बुराइयों से दूर रहकर इबादतों और तिलावतों में मशरूफ हो जाते हैं। और मुस्लिम इलाकों में तो रौनक़ देखते ही बनती है। घरों में रमज़ान में अलग ही तरह का माहौल होता है। जिससे बड़ों के साथ साथ मासूम बच्चे तक रहमते लूटने में पीछे नहीं रह पाते। कहा जाता है कि माँ की गोद ही बच्चे का पहला स्कूल होता है। अगर माँ रोजे नमाज़ की पाबंद हो तो बच्चों पर भी इसका सीधा असर होता है। ऐसा ही एक मामला मऊ ज़िले के थाना दोहरीघाट के ग्राम रसूलपुर सूरज पुर के इरशाद अहमद इदरीसी के घर से सामने आया है। उनकी बीवी हस्रतुन्निशा अपने मासूम बच्चों के साथ घर संभालती हैं क्योंकि इरशाद इदरीसी सऊदी में रोजी कमाते हैं। आजकल रमज़ान माह में बीवी हसरत उन निशा इबादत ओ तिलावत में मश रूफ रहती हैं। माँ का ये तर्ज़ ए अमल उनके आठ साल के जुड़वा दो मासूम बच्चों के ज़हन में असर कर गया। आठ वीं साल में चल रहे दोनों जुड़वां मासूम बहन भाई ने भी अपनी ज़िंदगी का पहला रोज़ा रखा और खुशी खुशी रोज़ की तरह स्कूल भी गये ट्यूशन भी गए और माँ के साथ नमाज़ भी पढ़ी। रोज़ा इफ्तार के वक़्त बच्चों के चेहरे पर अलग सा नूर छलक रहा था। जिसने भी देखा दिल से दुआ दी।