इबादत पर उम्र भी पहरा लगा नहीं सकती , 8 वर्षीय बच्चे ने रखा रमजान।

कानपुर- अगर दिल में शौक और घर, परिवेश का माहौल इंसानियत और सच्चाइयों सेभरा हो तो वहाँ पूरे माहौल को ही पाकीज़ा बना देता हैं। जिसका पूरा असर देखने को मिला और बुजुर्गों की कहावत सच्ची होती दिखाई दी कि इबादत पर उम्र कभी पहरा नहीं लगा सकती ।हमारा देश संस्कारों से भरा है यहाँ हरधर्मं के महापुरुषों ने जन्म लिया। हम बचपन से ही अवतार ,बली औलिया , पीर पैगंबरो की कहानी किस्से व दास्तान सुनते आ रहे हैं जिसने भी सुना होगा उसने एक ही बात सुनी होगी कि उन पीर वली ओलिया ने मां के पेट से ही इबादत करना शुरू कर दी थी। मतलब कुछ चीजें हमारे आस पास के माहौल और माँ के संस्कारों से मिलती है जिसकी गोद बच्चे का पहला स्कूल कहलाती है। आज हमारे उत्तर प्रदेश में जनपद कानपुर के मीरपुर छावनी निवासी इदरीसी समाज व इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाले महज 8 वर्षीय ज़ैन मुराद पुत्र मुहिब आलम ने उम्र को दरकिनार कर रहमत और बरकतों के माह रमजान में पूरे जोशो खरोश के साथ रोजा रखा। अल्लाह की रहमतों ने मुहिब की भूख प्यास की शिद्दत को सहरी से लेकर रोजा इफ्तार तक खत्म कर दिया। वही ज़ैन मुराद की मां सबीहा ने बहुत ही अच्छी तरह से उनकी परवरिश की तथा बताया जाता है कि ज़ैन मुराद महज 8 वर्ष की उम्र में रोजा रखने को लेकर पूरे शहर में चर्चा का विषय बने हुए हैं | लोग उन्हें मुबारक दे रहे हैं।

इबादत पर उम्र भी पहरा लगा नहीं सकती , 8 वर्षीय बच्चे ने रखा रमजान।