ईद-उल-फ़ित्र एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद रोज़ेदार को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला इनआ़म है। ईद सामाजिक सौहार्द और मुहब्बत का मजबूत धागा है। एक रोजे़दार के लिए इसकी अहमियत का अंदाजा अल्लाह के प्रति उसकी शुक्रगुजा़री से लगाया जा सकता है। सेवइयों में लिपटी मुहब्बत की मिठास इस त्योहार की ख़ूबी है। मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व न सिर्फ हमारे समाज को जोड़ने का मजबूत माध्यम है, बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौहार्दभरे संदेश को भी प्रभावशाली ढंग से फैलाता है। मीठी ईद कहा जाने वाला यह पर्व खासतौर पर भारतीय समाज के ताने-बाने और उसकी भाईचारे की सदियों पुरानी परंपरा का वाहक है। इस दिन विभिन्न धर्मों के लोग गिले- शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सेवइयां अमूमन उनकी तल्खी की कड़वाहट को मिठास में बदल देती है।
ऐसा माना जाता हैं की जब पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब बद्र के युद्ध में कामयाबी मिली और इसी जीत की खुशी में यह ईद उल फित्र पर्व मनाया जाता है इतिहासकार मानते हैं की 624 ईसवी में पहला ईद उल फितर पर्व मनाया गया होगा | ईद पर्व भाईचारा को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग आपस में गले मिलकर एक दूसरे को सुख शांति की दुआ देते हैं। ईद उल-फ़ित्र-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है।
ए एच इदरीसी
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