गड़बड़ा सकता है बदायूं की सियासत का गणित।

गड़बड़ा सकता है बदायूं की सियासत का गणित।

उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव को देखते हुए हमेशा चर्चा में रही  बदायूं की जमीन राजनीतिक रूप से प्रदेश की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका मेँ रही है। पूर्व मेँ सपा का गण और बदायूं के पूर्व जिलाध्यक्ष स्वo बनवारी सिंह को मिनी मुख्यंमत्री के रूप मेँ भी देखा गया।

वर्तमान आगामी 7 मई को होने वाले चुनाव मेँ भाजपा व इंडिया गठबंधन ने अपने अपने पत्ते खौलते हुए मजबूत प्रत्याशी मैदान मेँ उतारे तो वही ज़िले की स्थिति को और हालात को भांपते हुए बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए विधान सभा सदस्य रहे  पड़ोस की लोकसभा के निवासी एक पुराने चेहरे मुस्लिम खाँ को प्रत्याशी बनाया। वहीं बसपा के बुरे दिनों के समय भी उसका मजबूती से दामन पकड़े रहे एक और मुस्लिम नेता को मायूसी हाथ लगी। वहीं सपा से नाराज़ चल रहे मुस्लिम नेताओं को शिवपाल यादव ने साधने मेँ कामयाबी हासिल की। जबकि बसपा प्रत्याशी अभी सारी विधान सभाओं मेँ प्रत्याशी बनने के बाद संपर्क साधने मेँ भी लेट हुए है।

 अब अचानक राजनीतिक गलियारों मेँ चर्चा आम हो रही है और सूत्रों से खबर मिल रही है कि बसपा के वही पुराने  मुस्लिम नेता बसपा हाई कमान द्वारा असंतुष्ट हैं और कल समाजवादी पार्टी मेँ शामिल होने जा रहे हैं। जिनके शामिल होने से बदायूं की सियासत मेँ एक नया मोड़ आने की संभावना है।