दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है -----------------------------पढ़ें शायर क़ासिम बीकानेरी का कलाम*

दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है -----------------------------पढ़ें शायर क़ासिम बीकानेरी का कलाम*

दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*मौला का प्यारा अब ये,‌ मेहमान जा रहा है*

*कितनी तड़प है दिल में जाकर किसे बताएं* *आंखों से दूर माहे-ज़ीशान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*सब्रो-सुकून कितना वो लोग पा रहे हैं*

*जो भी इबादतों के यां गुल खिला रहे हैं*

*लेकर हमारे लब की मुस्कान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*नूरे-ख़ुदा की हरसू बरसात हो रही है*

*अल्लाह की, नबी की, बस बात हो रही है*

*देकर ये तोहफ़े माहे-गुफ़रान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*देखो नमाज़ियों से मस्जिद भरी हुई है*

*राज़ी ख़ुदा को करने की धुन लगी हुई है*

*रहमत लुटाके माहे-ज़ीशान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*इस माह में इबादत का इक महल बनाया*

*फिर उस महल को हम ने सजदों से है सजाया* *दूर अब वो रहमतों का ऐवान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है* *क़ुरआ़न की तिलावत दिन रात हो रही है*

*हर लम्हा रहमतों की, बरसात हो रही है*

*अब फिर ख़ता की जानिब इंसान जा रहा है* *दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है* *

अल्लाह बख़्श देगा पिछले गुनाह अपने* *जन्नत हमें मिलेगी वा'दा किया है रब ने*

*हमको सुना के रब का फ़रमान जा रहा है* *दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है*

*जन्नत में जाना हो तो तुम काम अच्छे करना* *नै'मत से रब की अपने फिर झोलियों को भरना*

*जन्नत का दूर हमसे दरबान जा रहा है*

*दिल रो रहा है ग़म से, रमज़ान जा रहा है* *

क़ासिम बीकानेरी*