साहित्य

उठा के सर कभी सर को झुका के-बहुत रोया वो मेरे खत जला के-...

उठा के सर कभी सर को झुका के बहुत रोया वो मेरे खत जला के तखय्यूल में तेरी महफिल सजा के चिराग ए दिल रखा हमने जला के क़रार आये भी कैसे...

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