हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम ------------------ पढ़ें बशीर बद्र का कलाम।

हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम ------------------ पढ़ें बशीर बद्र का कलाम।

उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता,

हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता।

बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती,

उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता।

ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना,

ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता।

बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं,

कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता।

कभी बरसात में शादाब बेलें सूख जाती है,

हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।

                                    ........बशीर बद्र